आप में अपार शक्ति है।
आप अपने देश तथा परिवार की समस्याओं का समाधान करेंगे।
पूरे विश्व की समस्याओं का समाधान करेंगे।
पूरे विश्व की समस्याओं का समाधान आप ही करेंगे।
आप लोग ही पृथ्वी पर शांति लायेंगे।
आप ही सुन्दर दिव्य मानवों से परिपूर्ण एक विश्व का सृजन करेंगे।"
-- *परमपूज्य श्रीमाताजी* , दिवाली पूजा , १२.११.१९९३
*****************************************
विश्व के प्रति आपका सहजयोगी होने के नाते, एकमात्र कर्तव्य क्या होना चाहिए ??
"..................श्री महाकाली से प्रार्थना करनी है कि, उन लोगों को नष्ट करें जो विश्व को नष्ट कर रहें हैं_"हे महाकाली, कृपा करके दुष्ट लोगों का वध करें।".
.. ये उनका कार्य है, ऐसा करने में उन्हें प्रसन्नता होगी, पर किसी व्यक्ति को उनसे "प्रार्थना" करनी होगी।
ऐसा करना बहुत अच्छा होगा क्योंकि जब तक आप उन्हें कहेंगे नहीं...ऐसे बहुत से दुष्ट लोगों पर सम्भवतः उनका चित्त न जा पायेगा।
.........अतः सर्वोत्तम तरीका ये होगा कि सदैव उनसे व्यक्तिगत रूप से, सामूहिक या विश्व स्तर पर सहायता की याचना करें।
वे सर्वव्यापी हैं। पूरे ब्रह्माण्ड में व्यापक हैं।
उनकी पूजा करना, उनसे प्रार्थना करना, उन्हें जागृत करना, यही आपका एकमात्र कर्तव्य है।"
-- H.H.Shree Mataji Nirmala Devi.
-- ( Cabella , Italy 23-9-1998. )
आप अपने देश तथा परिवार की समस्याओं का समाधान करेंगे।
पूरे विश्व की समस्याओं का समाधान करेंगे।
पूरे विश्व की समस्याओं का समाधान आप ही करेंगे।
आप लोग ही पृथ्वी पर शांति लायेंगे।
आप ही सुन्दर दिव्य मानवों से परिपूर्ण एक विश्व का सृजन करेंगे।"
-- *परमपूज्य श्रीमाताजी* , दिवाली पूजा , १२.११.१९९३
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विश्व के प्रति आपका सहजयोगी होने के नाते, एकमात्र कर्तव्य क्या होना चाहिए ??
"..................श्री महाकाली से प्रार्थना करनी है कि, उन लोगों को नष्ट करें जो विश्व को नष्ट कर रहें हैं_"हे महाकाली, कृपा करके दुष्ट लोगों का वध करें।".
.. ये उनका कार्य है, ऐसा करने में उन्हें प्रसन्नता होगी, पर किसी व्यक्ति को उनसे "प्रार्थना" करनी होगी।
ऐसा करना बहुत अच्छा होगा क्योंकि जब तक आप उन्हें कहेंगे नहीं...ऐसे बहुत से दुष्ट लोगों पर सम्भवतः उनका चित्त न जा पायेगा।
.........अतः सर्वोत्तम तरीका ये होगा कि सदैव उनसे व्यक्तिगत रूप से, सामूहिक या विश्व स्तर पर सहायता की याचना करें।
वे सर्वव्यापी हैं। पूरे ब्रह्माण्ड में व्यापक हैं।
उनकी पूजा करना, उनसे प्रार्थना करना, उन्हें जागृत करना, यही आपका एकमात्र कर्तव्य है।"
-- H.H.Shree Mataji Nirmala Devi.
-- ( Cabella , Italy 23-9-1998. )
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