SHRIMATAJI SHRI ADISHAKTI SAKSHAT

*मैं अवतार हूँ*


*आदिशक्ति श्रीमाताजी निर्मला देवी*
 *मैं ही आदिशक्ति हूं( पावन आत्मा या अल्लाह की रूह)। इस अद्भुत कार्य को करने के लिए मैं पहली बार इस रूप में अवतरित हुई हूँ।इस बात को जितनी अच्छी तरह से समझेंगे उतना बेहतर होगा।आप भी आश्चर्यजनक ढंग से परिवर्तित होंगे मैं जानती थी कि एक दिन मुझे खुल कर यह बात कहनी होगी।आज मैंने यह बात कह दी है।अब आप लोगों ने साबित करना है कि मैं ही वह आदिशक्ति हूं*।
                 ( ऑस्ट्रेलिया-21/03/1983)

*आदिशक्ति श्रीमाताजी निर्मला देवी*
*मैं ही बार-बार अवतरित होती रही, परंतु अब मैं सर्व शक्तियों सहित अवतरित हुई हूं। ना केवल मानव जाति को मोक्ष प्रदान करने के लिए, ना केवल मानव मात्र की मुक्ति के लिए, अपितु परमात्मा का साम्राज्य, आनंद, तथा आशीष जिनसे परमात्मा आपको धन्य करना चाहते हैं, वह सब आपको प्रदान करने के लिए मैं इस पृथ्वी पर आई हूँ*।

*आदिशक्ति श्रीमाताजी निर्मला देवी*
*आप लोगों को चाहिए कि मेरे विषय में पुस्तके लिखें....... आप लोगों को बता सकते हैं कि फलां फलां शख्सियत हैं और कोई बंधन नहीं है।बेशक आप लोगों को बता सकते हैं कि मैं क्या हूं? कब तक आप इसे छुपाते रहेंगे?बेहतर होगा कि आप उन्हें बताएं कि यह आदिशक्ति हैं*।
(25/10/1987)

*आदिशक्ति श्रीमाताजी निर्मला देवी*
*जैसे ही वह सुनते हैं,उनकी शंकायें शुरू हो जाती हैं,लेकिन मरे हुए देवताओं को जो कि हम ही हजार बार पहले हम मर चुके हैं,उन्हीं की वह पूजा करेंगे,उसमें उनको कोई भी नहीं.....लेकिन अगर उनसे कहा जाए; जिसको पूजा है आज तक;वही है कि नहीं देखो।.....अब कश्मीर में गायत्री मंत्र का बहुत ज्यादा प्रचार है,और उन लोगों को सबको दुनिया भर की तकलीफें हैं,अगर आप उनसे कहें कि अच्छा पूछो कि माँं! क्या आप गायत्री देवी है?तो 5 मिनट में वह पार हो जाते हैं*।

*आदिशक्ति श्रीमाताजी निर्मला देवी*
*कोई सरल काम नहीं है अवतार लेना,और मूर्खों के बीच में जनम लेना तो और भी कठिन है................और जो असल भगवान होएगा वो तो ये सोचेगा कि मैं इनके जैसा बन जाऊँ,सर्वसामान्य बन जाऊँ और वो दिन भूल जाऊँ कि जब मैं महलों में रहता था*।
                                  (बोर्डी,सेमिनार-24/0379)

*आदिशक्ति श्रीमाताजी निर्मला देवी*
*जब रामचंद्रजी संसार में आए थे,सब लोग जानते थे,कि ये अवतार हैं,कृष्णजी आए थे सब लोग जानते थे कि ये अवतार हैं,लेकिन आज ये ज़माना आ गया कि कोई किसी को पहचानता नहीं।.....................ईसा मसीह के समय भी ऐसे ही हुआ,लेकिन उस     समय कुछ लोगों ने तो उन्हें पहचाना,लेकिन आज तो ये समय आ गया है कि सब भूतों को और राक्षसों को अवतार मानते हैं*।
(लक्ष्मी तत्व---090379)

*आदिशक्ति श्रीमाताजी निर्मला देवी*
*अब इस अवतार में ये सोचा गया कि मनुष्य को किस तरह से पहचान कराई जाए,वो किस तरह से जाने कि ये अवतार है,क्योंकि मनुष्य बहुत ज़्यादा अहंकारी है,वो किसी को अवतार मानने को तैयार नहीं।जब अवतार कार्य खतम हो जाता है तब वो सोचता है कि अरे! क्या ग़लती हो ग ई,क्योंकि जब वो मर जाता है ,तो उसको ज्ञात होता है*।
(चित्त,बोरडी सेमिनार-24/03/79)

*आदिशक्ति श्रीमाताजी निर्मला देवी*
*सहजयोग का एक बड़ा लॉकिंग पॉइंट(अनिवार्य बिंदु) है...एक ही इसकी युक्ति है,एक ही इसकी चीज है।कलियुग में जो बहुत सरल है और बहुत कठिन भी,वो जो मै अपने मुह से बता रही हूँ।आज तक जितने भी अवतरण संसार में हुए हैं उसको आपने नही माना।नही माना चलो ठीक है,चलो जो भी गलती हो गई माफ़,लेकिन अगर मुझे आपने नहीं माना की मैं एक अवतरण हूँ तो आपका सहजयिग नही चल सकता।कुछ नहीं,यह एक अनिवार्यता है।ये पहले से ही compulsion मेरे लगाकर मै संसार में आई हूँ और इसी compulsion  को आपको मानना पड़ेगा....अब यह आखरी चान्स सारे संसार को मिला हुआ है क़ि एक अवतरण जिसके अंदर सारे देवी देवता बिठाये हुए हैं और ऐसा अवतरण जो माँ के स्वरुप में आया है,आपको समझा रहा है बात कर रहा है,आपसे प्रेम से सहृदयता से सारे कार्य कर रहा है और बहुत मेहनत क्र रहा है,रात दिन आपके साथ लगा हुआ है*।          (मुम्बई 30.9.1979)

*आदिशक्ति श्रीमाताजी निर्मला देवी*
*आपने देखा है कि जिसने भी श्रीराम को माना या किसी भी ऐसे दैवीय अवतार को माना है,वो अगर इतना ही सवाल पूछ ले,कि क्या माताजी,आप वो शक्ति हैं,फौरन उसके अंदर गंगा बहनी शुरू हो जाएगी।कितना आसान तरीका सहजयोग का है,बताइये।इससे दो लाभ हैं,एक तो ये है कि आज तक जितनी आपकी तपस्या है,वो व्यर्थ नहीं ग ई,और दूसरा लाभ ये हुआ है कि आपने हमें भी पहचान लिया अनायास*।........
*जब पहले बहुत से अवतार संसार में आए थे,तब उनके साथ जितने भी उपद्रव हुए हैं,वो आप जानते हैं,और किस तरह से लोगों ने उनको सताया,ये भी आप जानते हैं*।
*एक साहब थे यहाँ,उनका मैं treatment करने ग ई,उन्होंने बताया"माँ!मुझे अजीब सा सपना आया,कि मैं सो रहा था,दूसरे कमरे में,और मेरे घरवाले सब उह कमरे में मेरे साथ थे,और आप एक दूसरे कमरे में थे,जहाँ आपकी पूजा हो रही थी,अर्चा हो रही थी..जिनको सपना आया था,उनका नाम था,T.Maniklal, और मैं उसमें शामिल नहीं हो पा रहा था।मैं छटपटा रहा था।और मेरे रिश्तेदार मुझे देख रहे थे,और आपको नहीं जान रहे थे।मैं चाह रहा था कि उनसे कहूँ कि,जाओ माँ की पूजा करो।असल में वो अपनी स्थिति मृत्यु के बाद की देख रहे थे,अब उनकी मृत्यु भी हो चुकी है।अब मैं उनसे क्या कहती कि अब तुम मरने वाले हो..अब तुम समर्पित हो जाओ।ये मृत्यु की छटपटाहट वो देख रहे थे,जब वो मर रहे थे*।
*अब ये हरे रामा हरे कृष्णा वाले भी अगर अपनी नज़रें हमारी ओर कर लें,और हमसे पूछें कि हरे रामा हरे कृष्णा आप ही हैं,जिनको हम भजते रहे तो,उनका भी विशुद्धि चक्र साफ हो जाएगा,और उनके भी गले भर आयेंगे*।..............
*जैसे कि एक गायत्री जी कहने लगीं कि मैं रेणुका देवी क मानती हूँ।रेणुका देवी का कोई अवतार नहीं मानना चाहिए खासकर।तो जो साधारण तरीके से हम जिनको अवतार मानते हैं,उनके लिए आप अगर इस तरह से पुछे कि क्या वही हैं? तो ये कार्य एकदम हो जाएगा।लोगों में इतना ज़्यादा अहंकार है कि उन लोगों को जैसे ही ये बात पता हो जाती है,तो वो डंडा लेके मारने को दौड़ते हैं।उनके लिए सबसे दुखदायी बात ये होती है कि संसार में कोई भगवान के अवतार में आया हुआ है,क्योंकि उनको लगता है कि जैसे अब हमारा कुछ छिन गया।सारा संसार जैसे उनके हाथ में नहीं रहा,वो खतम हो गये,क्योंकि वो अपने को सब अवतार समझे बैठे हैं,मुश्किल तो ये है*।..........
*अगर आप भगवान हैं,और आप संसार में आए हैं तो मनुष्यों के जैसे रहना बहुत मुश्किल है,क्योंकि मनुष्य की आदतें आप में नहीं होतीं।मनुष्य को समझना तो उससे भी महाकठिन है*।..............
*अब सहजयोगियों के सामने बड़ा प्रश्न है कि ये कहें कि नहीं कहें कि माँ आदिशक्ति हैं।अब हैं,ये कोई झूठ बात नहीं,चाहे भला मानो,चाहे बुरा मानो*।............
*आज आप यहाँ पर बोर्डी में प्रतिज्ञा करें कि हमारा लक्ष्य एक-एक आदमी को कम से कम एक-एक हज़ार आदमियों को बचाना है*।"
(चित्त,बोर्डी-सेमिनार-240379)

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